किसी मेहरबान ने आ कर मेरी जिंदगी सजा दी - The Indic Lyrics Database

किसी मेहरबान ने आ कर मेरी जिंदगी सजा दी

गीतकार - समीर | गायक - अनुराधा पौडवाल | संगीत - नदीम, श्रवण | फ़िल्म - कल की आवाज़ | वर्ष - 1992

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किसी महरबां ने आकर मेरी ज़िंदगी सजा दी
मेरी धड़कनों में नई आरज़ू जगा दी
मेरी धड़कनों ...तन्हाइयों की हरदम आगोश का ये मन्ज़र
ठहरा हुआ था मेरी बेताबी का समन्दर
मांझी का आगे छेड़ा हलचल लो मचा दी
किसी महरबां ने ...आईं नई बहारें बरसात की रात हो तुम
वो आरज़ू में गुज़रती थी बेनूर का ये आलम
अन्धेरे रास्ते में मुझे रोशनी दिखा दी
किसी महरबां ने ...