जो राह चुनी तूने, उसी राह पे राही चलते जाना रे - The Indic Lyrics Database

जो राह चुनी तूने, उसी राह पे राही चलते जाना रे

गीतकार - एम. जी. हशमत | गायक - किशोर कुमार | संगीत - रवींद्र जैन | फ़िल्म - तपस्या | वर्ष - 1975

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जो राह चुनी तूने, उसी राह पे राही चलते जाना रे
हो कितनी भी लम्बी रात, दिया बन जलते जाना रे
कभी पेड़ आ साया पेड़ के काम ना आया
सेवा में सभी की उसने जनम बिताया
कोई कितने ही फल तोड़े उसे तो है फलते जाना रे
तेरी अपनी कहानी ये दर्पन बोल रहा है
भीगी आँख का पानी हक़ीक़त खोल रहा है
जिस रंग में ढाले वक़्त मुसाफिर ढलते जाना रे
जीवन के सफर में ऐसे भी मोड़ हैं आते
जहाँ चल देते हैं अपने भी तोड़ के नाते
कहीं धीरज छूट ना जाए तू देख संभलते जाना रे
तेरे प्यार की माला कहीं जो टूट ही जाए
जन्मों का साथी कभी जो छूट भी जाए
दे देकर झूठी आस तू खुदको छलते जाना रे