कलियों को मसालाने आए हैं - The Indic Lyrics Database

कलियों को मसालाने आए हैं

गीतकार - सोहन लाल साहिर और जहीर कश्मीरी | गायक - नसीम अख्तर | संगीत - खुर्शीद अनवर | फ़िल्म - आज और कल/आज या कल | वर्ष - 1947

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कलियों को मसलने आए हैं फूलों को जलाने आए हैं
इस बाग़ की डाली डाली में वो आग लगाने आए हैं
कलियों को मसलने आए हैंमहमान बनाया था उनको आँखों पे बिठाया था उनको
मालूम न था वो जीवन को वीरान बनाने आए हैं
कलियों को मसलने आए हैंवो अपने गीतों के तोहफ़े ले जाएं हमारी महफ़िल से
हम अमृत के मतवालों को वो ज़हर पिलाने आए हैं
कलियों को मसलने आए हैं