गुणगुणती है हवा फूल खिले दीप जले - The Indic Lyrics Database

गुणगुणती है हवा फूल खिले दीप जले

गीतकार - संत दर्शन सिंह जी महाराज | गायक - गुलाम अली | संगीत - अल्लाहुद्दीन खान | फ़िल्म - कलाम-ए-मोहब्बत (गैर फिल्म) | वर्ष - 1992

View in Roman उसकी आवाज़ से नग़्मों के नय दीप जले
'>

गुनगुनाती है हवा फूल खिले दीप जले
हँस पड़ी रात महकते हुये आँचल के तलेयूँ तमन्नायें चमक उठती हैं दिल में जैसे
चेहरा-ए-वक़्त पे रह रह के कोई हाथ मलेबच के तारों की निगाहों से गुलों से छुप कर
दो निगाहों की मुलाकात हुई रात ढलेरंग-ओ-ख़ुश्बू से छलकने लगा मयख़ाना-ए-दिल
साक़िया जाम चले जाम चले जाम चलेआज 'दर्शन' नये अन्दाज़ से है गर्म-ए-नवा
उसकी आवाज़ से नग़्मों के नय दीप जले