हमें किसी से सुनी कहानी मेरी नाव चलिए रे - The Indic Lyrics Database

हमें किसी से सुनी कहानी मेरी नाव चलिए रे

गीतकार - प्रदीप | गायक - अशोक कुमार | संगीत - सरस्वती देवी | फ़िल्म - झूला | वर्ष - 1941

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हमने किसी से सुनी कहानी
एक सफ़र है ये ज़िंदगानी -२( किसको पगले तू कहता है अपना
प्रेम की दुनिया का झूठा है सपना ) -२
उनका फूलों से रिश्ता ही क्या -२
जिनकी क़िस्मत काँटों के बीच पली रेचली रे, चली रे मेरी नाव चली रे
न जाने किधर
न जाने किधर आज मेरी नाव चली रे
चली रे, चली रे मेरी नाव चली रे( कल की बातों को भूल मेरे मनवा
प्रीत है दुःखों की मूल मेरे मनवा ) -२
सपने किसी के कभी होते न पूरे
रोज़ बनावो फिर भी अधूरे -२
बीते हुये सपनों का बोझा उठा ले
दूर कही दूर मेरी नाव चली रेचली रे, चली रे मेरी नाव चली रे
न जाने किधर
न जाने किधर आज मेरी नाव चली रे
चली रे, चली रे मेरी नाव चली रे