जब उसने गेसुउ बिखरये बादल आया झुम के - The Indic Lyrics Database

जब उसने गेसुउ बिखरये बादल आया झुम के

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - शमशाद बेगम | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - शाहजहां | वर्ष - 1946

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जब उसने गेसू बिखराये
बादल आया झूम के
मस्त उमंगें लहराई हैं
रंगीं मुखड़ा चूम केग़ुँचा महका बुलबुल चहका -२
नाचे भँवरा घूम केजब उसने गेसू बिखराये
बादल आया झूम केउसके नैन गुलाबी -२
कर दें सबको शराबी -२बादल आया झूम के
जब उसने गेसू बिखराये
बादल आया झूम के( जब हँस-हँस कर वो बोले
कानों में वो रस घोले
हर दिल में अरमाँ डोले
इश्क़ अपनी आँखें खोले ) -२ओ
( उसने पैमाना छलकाया
आ साक़ी
मस्ती में आँचल ढलकाया
आ साक़ी ) -२
रोओम झुम रुम झुमबादल आया झूम के
जब उसने गेसू बिखराये
बादल आया झूम के
मस्त उमंगें लहराई हैं
रंगीं मुखड़ा चूम के