नहीं किया तो करके देख तू भी किसी पे मर के देख - The Indic Lyrics Database

नहीं किया तो करके देख तू भी किसी पे मर के देख

गीतकार - साहिर | गायक - मुकेश | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - चार दिल चार राहें | वर्ष - 1959

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नहीं किया तो करके देख तू भी किसी पे मर के देख
हुस्न के बिखरे फूलों से दिल की झोली भर के देख
तू भी किसी पे मर के देख
कौन तुझे क्या कहता है क्यों उसका ग़म सहता है
अरे कुत्ते भौंकते रहते हैं क़ाफ़िला चलता रहता है
भई क़ाफ़िला चलता रहता है
कभी अपने मन की कर के देख
तू भी किसी पे मर के देख
रीतें रस्में तोड़ भी दे दिल को अकेला छोड़ भी दे
दुनिया दिल की दुश्मन है ( दुनिया का मुँह मोड़ भी दे )
अरे कुछ तो अनोखा कर के देख
तू भी किसी पे मर के देख
एक रस्ता है दौलत का दूसरा दूसरा ऐश-ओ-इशरत का
अरे तीसरा झूठी इज़्ज़त का ( चौथा सच्ची उल्फ़त का )
इस रस्ते से गुज़र के देख
तू भी किसी पे मर के देख