कभी नेकी भी उसके दिल में गर आ जाए है मुझसे - The Indic Lyrics Database

कभी नेकी भी उसके दिल में गर आ जाए है मुझसे

गीतकार - ग़ालिब | गायक - नूरजहां | संगीत - तस्दक हुसैन | फ़िल्म - ग़ालिब (पाकिस्तानी-फ़िल्म) | वर्ष - 1961

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कभी नेकी भी उसके दिल में गर आ जाये है मुझसे
जफ़ाये कर के अपनी याद शरमा जाये है मुझसे
कभी नेकीउधर वो बदग़ुमानी है इधर ये नातवानी है -२
न पूछा जाये है उससे न बोला जाये है उनसे
कभी नेकीहुये हैं पाँव ही पहले नबर्द-ए-इश्क़ में ज़ख़्मी -२
न भागा जाये है मुझसे न ठहरा जाये है मुझसे
कभी नेकी भी उसके दिल में गर आ जाये है मुझसे
कभी नेकीसम्भलने दे मुझे ऐ नाउम्मीदी क्या क़यामत है -२
के दामान-ए-ख़याल-ए-यार छूटा जाये है मुझसे
कभी नेकी भी उसके दिल में गर आ जाये है मुझसे
कभी नेकी