दो दिलों को ये दुनिया मिलने ही नहीं देती - The Indic Lyrics Database

दो दिलों को ये दुनिया मिलने ही नहीं देती

गीतकार - कमर जलालाबादी | गायक - मंजू | संगीत - हुस्नलाल -भगतराम | फ़िल्म - चाँद | वर्ष - 1944

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दुनिया के सितम का कोई शिक़वा न करेंगे

दुनिया के सितम का कोई शिक़वा न करेंगे

रूठी हुई क़िस्मत से मगर इतना कहेंगे

ओ क़िस्मत तेरा हो बुरा

क्यूँ दिल के

क्यूँ दिल के टुकड़े कर दिये

दिल के टुकड़े कर दिये

दिल के टुकड़े

कर दिये

इस दिल पे जो बीती है अरे किसको सुनायें

थीं अपने लिये सारे ज़माने की जफ़ायें

बदले में भलाई के मिल्लि हमको बुराई

उजड़े हुये अरमान भी देते हैं दुहाई

ओ क़िस्मत तेरा हो बुरा

क्यूँ दिल के

क्यूँ दिल के टुकड़े कर दिये

दिल के टुकड़े कर दिये

दिल के टुकड़े

कर दिये

थी किसको ख़बर दिल की कली खिल न सकेगी

होनी न ख़ता फिर भी सज़ा हमको मिलेगी

जब टूट गया दर्द भरे दिल का सहारा

बरबाद उम्मीदों ने यही रो के पुकारा

ओ क़िस्मत तेरा हो बुरा

क्यूँ दिल के

क्यूँ दिल के टुकड़े कर दिये

दिल के टुकड़े कर दिये

दिल के टुकड़े

कर दिये