कुश रहो अहल ए चमन हम तो चमन छोड़ चले - The Indic Lyrics Database

कुश रहो अहल ए चमन हम तो चमन छोड़ चले

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - मैं चुप रहूंगी | वर्ष - 1962

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ख़ुश रहो अहल-ए-चमन हम तो चमन छोड़ चले
ख़ुश रहो अहल-ए-चमन
ख़ाक़ परदेस की छानेंगे वतन छोड़ चले
ख़ुश रहो अहल-ए-चमन ...भूल जाना हमें हम याद के क़ाबिल ही नहीं -२
क्या पता दें कि हमारी कोई मंज़िल ही नहीं
अपनी तक़दीर के दरिया का तो साहिल ही नहीं
ख़ुश रहो अहल-ए-चमन ...कोई भूले से हमें पूछे तो समझा देना
एक बुझता हुआ दीपक उसे दिखला देना
आँख जो उसकी छलक जाए तो बहला देना
ख़ुश रहो अहल-ए-चमन ...रोज़ जब रात के आँचल में सितारे होंगे -२
ये समझ लेना कि वो अश्क़ हमारे होंगे
और किस हाल में हम दर्द के मारे होंगे
ख़ुश रहो अहल-ए-चमन ...