फिर वही शाम, वही गम, वही तनहाई है - The Indic Lyrics Database

फिर वही शाम, वही गम, वही तनहाई है

गीतकार - राजेन्द्र कृष्ण | गायक - तलत महमूद | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - जहाँ आरा | वर्ष - 1964

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फिर वोही शाम, वोही गम, वोही तनहाई है
दिल को समझाने तेरी याद चली आई है
फिर तसव्वुर तेरे पहलू में बिठा जाएगा
फिर गया वक्त घड़ी भर को पलट आएगा
दिल बहल जाएगा आखिर को तो सौदाई है
जाने अब तुझ से मुलाक़ात कभी हो के न हो
जो अधूरी रही वो बात कभी हो के न हो
मेरी मंज़िल तेरी मंज़िल से बिछड आई है