जो हम पे गुजरती है तनहा किसे समझाये - The Indic Lyrics Database

जो हम पे गुजरती है तनहा किसे समझाये

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - सुमन कल्याणपुर | संगीत - खय्याम | फ़िल्म - मोहब्बत इस को कहते हैं | वर्ष - 1965

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जो हम पे गुजरती है तनहा किसे समझाये
तुम भी तो नहीं मिलते जाये तो किधर जाये
समझा है, ना समझेगा इस गम को यहाँ कोई
बेदर्दो की बस्ती है हमदर्द कहाँ कोई
जो सिर्फ़ तुम्हारा है वो दिल किसे दिखलाये
जब जान-ए-वफ़ा तेरी फुरक़त ना सतायेगी
वो सुबह कब आयेगी, वो शाम कब आयेगी
कब तक दिल-ए-नादान को हम वादों से बहलाये
आजा के मोहब्बत की मिटने को है तस्वीरे
पहरे हैं निगाहों पे और पाँव में जंजीरे
बस में नहीं वर्ना हम उड़ के चले आये