फिर वही रात है, फिर वही रात है ख्वाब की - The Indic Lyrics Database

फिर वही रात है, फिर वही रात है ख्वाब की

गीतकार - गुलजार | गायक - किशोर कुमार | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - घर | वर्ष - 1978

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फिर वही रात है, फिर वही रात है ख़्वाब की
रातभर ख़्वाब में देखा करेंगे तुम्हें
मासूम सी नींद में जब कोई सपना चले
हमको बुला लेना तुम, पलकों के परदे तले
ये रात है ख़्वाब की, ख़्वाब की रात है
काँच के ख़्वाब हैं, आँखों में चुभ जायेंगे
पलकों में लेना इन्हें, आँखों में रुक जायेंगे
ये रात है ख़्वाब की, ख़्वाब की रात है