सपनों में आना छेड़ छेड़ जाना - The Indic Lyrics Database

सपनों में आना छेड़ छेड़ जाना

गीतकार - इन्दीवर | गायक - लता मंगेशकर, मुकेश | संगीत - रोशन | फ़िल्म - शीशम | वर्ष - 1952

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सपनों में आना छेड़ छेड़ जाना
सीखा कहाँ से मेरे बलम ने
है इक नवेली नार अलबेली
हँस के लुटाया दिल जिस पे हम नेडोल गयी दुनिया मेरी
तेरी नज़र जो झुकी -२
आज हुई तुझ को खबर
मैं तो (कब से तेरी हो चुकी) -२
रह कर नज़र में
आँखों के घर में
ये भी न जाना भोले प्रीतम ने
सपनों में आना ...जीत लिया हम ने जहाँ
तू जो हमारा हुआ -२
देख लिया जब से तुझे
जीना गवारा हुआ -२
जो कुछ था मेरा
आज हुआ तेरा
किस्मत बदल ली आपस में हम ने
सपनों में आना ...मतवाली तेरी अदा
मन को मेरे भा गयी -२
नज़रों से नज़रें मिली
नींद आँखों में आ गयी -२
चंचल मस्तानी
चौंकी जवानी
कुछ इस तरह से देखा सनम नेजो कुछ था मेरा आज हुआ तेरा
किस्मत बदल ली आपस में हम ने