गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मुकेश | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - साथी | वर्ष - 1968
View in Romanभूल जा, भूल जा
जो चला गया उसे भूल जा
वो ना सून सकेगा तेरी सदा
ये हयात तो मौत की है डगर
कोई ख़ाक में, कोई ख़ाक पर
यही जान ले, वो कोई न था,
वो गुबार था तेरा हमसफ़र
उसे दूर लेके गई हवा
कोई इल्तजा, कोई बंदगी
ना क़ज़ा से हाथ छुड़ा सकी
किये आदमी ने बड़े जतन
मगर उसके काम ना आ सकी
ना कोई दूवां, ना कोई दवाँ
है मुझे भी गम किसी यार का
की लूटा नगर मेरे प्यार का
हुआ दरबदर मैं तो इस कदर
ना खिज़ा का हूँ, ना बहार का
मुझे देख ले मुझे क्या मिला