दिल आज शायर है, गम आज नग्मा है - The Indic Lyrics Database

दिल आज शायर है, गम आज नग्मा है

गीतकार - नीरज | गायक - किशोर कुमार | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - गेम्बलर | वर्ष - 1971

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दिल आज शायर है
ग़म आज नग्मा है
शब ये ग़ज़ल है सनम
गैरों के शेरों को ओ सुननेवाले
हो इस तरफ भी करम
आके ज़रा देख तो तेरी ख़ातिर हम किस तरह से जिये
आँसू के धागे से सीते रहे हम जो ज़ख़्म तूने दिये
चाहत की महफ़िल में ग़म तेरा लेकर क़िस्मत से खेला जुआ
दुनिया से जीते पर तुझसे हारे, यूँ खेल अपना हुआ
है प्यार हमने किया जिस तरह से उसका न कोई जवाब
ज़र्रा थे लेकिन तेरी लौ में जलकर, हम बन गये आफ़ताब
हमसे है ज़िंदा वफ़ा और हम ही से है तेरी महफ़िल जवां
हम जब ना होंगे तो रो रो के दुनिया ढूँढेगी मेरे निशां
ये प्यार कोई खिलौना नहीं है हर कोई ले जो खरीद
मेरी तरह ज़िन्दगी भर तड़प लो, फिर आना इस के करीब
हम तो मुसाफिर है, कोई सफ़र हो हम तो गुज़र जायेंगे ही
लेकिन लगाया है जो दाँव हमने वो जीतकर आयेंगे ही