ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी क़सम - The Indic Lyrics Database

ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी क़सम

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - प्रेम धवन | फ़िल्म - शहीद | वर्ष - 1965

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जलते भी गये, कहते भी गये
आज़ादी के परवाने
जीना तो उसीका जीना है
जो मरना वतन पे जाने
ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी क़सम
तेरी राहों में जां तक लूटा जाएँगे
फूल क्या चीज़ है तेरे क़दमों पे हम
भेंट अपने सरों की चढ़ा जाएँगे
सह चुके हैं सितम हम बहुत गैर के
अब करेंगे हर इक वार का सामना
झुक सकेगा ना अब सरफरोशो का सर
चाहे हो खूनी तलवार का सामना
सर पर बँधे कफ़न हम तो हसते हुए
मौत को भी गले से लगा जाएँगे
कोई पंजाब से कोई महाराष्ट्र से
कोई यूपी से है कोई बंगाल से
तेरी पूजा की ताली में लाए है हम
फूल हर रंग के आज हर डाल से
नाम कुछ भी सही पर लगन एक है
ज्योत से ज्योत दिल की जगा जाएँगे
तेरी जानिब उठी जो कहर की नज़र
उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम
तेरी धरती पे है जो क़दम गैर का
उस क़दम का निशान तक मिटा देंगे हम
जो भी दीवार आएगी अब सामने
ठोकरों से उसे हम गिरा जाएँगे