कर लीजिये चलकर मेरे जन्नत के नज़ारे - The Indic Lyrics Database

कर लीजिये चलकर मेरे जन्नत के नज़ारे

गीतकार - मजरूह | गायक - सहगल | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - शाहजहां | वर्ष - 1946

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ख़ुशी की आस रही दिल को और ख़ुशी न हुई

ख़ुशी की आस रही दिल को और ख़ुशी न हुई

मैं देखूं चाँद चमकता हो, रात ही न हुई

अँधेरी रात है तारे हैं चाँद और न चिराग़

जलाने बेठे जो दिल भी तो रोशनी न हुई

ये दिल का दर्द भी होता है कितना गहरा दर्द

जतन हज़ार किये दर्द में कमी न हुई

चमन में अब भी बहारें तो जगमगातीं हैं

बहार चाहिये जो दिल को बहार ही न हुई