दिल की तमन्ना थी मस्ती में - The Indic Lyrics Database

दिल की तमन्ना थी मस्ती में

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | संगीत - एन दत्ता | फ़िल्म - ग्यारह हजार लडकियां | वर्ष - 1962

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र: दिल की तमन्ना थी मस्ती में मंज़िल से भी दूर निकलते
अपना भी कोई साथी होता, हम भी बहकते चलते-चलतेआ: होते कहीं हम और तुम, ख्वाबों की रँगीन वादी में गुम -२
र: फिर उन ख्वाबों की वादी से, उठते आँखें मलते-मलतेर: हँसती ज़मीं, गाते कदम, चलते नज़ारे, चलते जो हम -२
आ: रुकते हम तो रुक-रुक जाता, ढलता सूरज ढलते-ढलतेदिल की तमन्ना थी मस्ती में मंज़िल से भी दूर निकलते
अपना भी कोई साथी होता, हम भी बहकते चलते-चलतेसाथी मिला, यूँ तो मगर, रस्ते में था चाँदी का नगर -२
चाँदी की नगरी भाई उसे हम, रह गए आँखें मलते-मलतेयादों की धूल आँखों में है, दामन की हसरत हाथों में है -२
ख्वाबों के वीराने में तन्हा, थक गया राही चलते-चलते