अगर दिलाबर की रुसवाई हमें मंज़ूर हो जाये - The Indic Lyrics Database

अगर दिलाबर की रुसवाई हमें मंज़ूर हो जाये

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - खिलौना | वर्ष - 1970

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अगर दिलबर की रुस्वाई हमें मंज़ूर हो जाये
(सनम तू बेवफ़ा के नाम से मषूर हो जाये)-२
अगर दिल्बर की ... हो जाये
सनम ... हो जाये(हमें फ़ुर्सत नहीं मिलती)-२
कभी आँसू बहाने से
(कई ग़म पास आ बैठे) -२
(तेरे एक दूर जाने से)-२
(अगर तू पास आ जाये तो हर ग़म दूर हो जाये)-२
सनम तू ... हो जाये(वफ़ा का वास्ता देकर)-२
मोहब्बत आज रोती है
(न ऐसे खेल इस दिल से)-२
(ये नज़ुक चीज़ होती है)-२
(ज़रा सी ठेस लग जाये तो शीशा चूर हो जाये) -२
सनम तू ... हो जाये(तेरे रंगीन होंठों को)-२
कमल कहने से डरते हैं
(तेरी इस बेरुख़ी पे हम)-२
(ग़ज़ल कहने से डरते हैं)-२
(कहीं ऐसा न हो तू और भी मग़रूर हो जाये)-२अगर दिल्बर कि थ्रेए दोत्स हो जाये
सनम तू ... हो जाये