हर तरफ अब यही अफसाने हैं - The Indic Lyrics Database

हर तरफ अब यही अफसाने हैं

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - मन्ना डे | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - हिंदुस्तान की कसम | वर्ष - 1973

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हर तरफ़ अब यही अफ़साने हैं
हम तेरी आँखों के दीवाने हैं
कितनी सच्चाई है इन आँखों में
खोटे सिक्के भी खरे हो जाएँ
तू कभी प्यार से देखे जो उधर
सूखे जंगल भी हरे हो जाएँ
बाग़ बन जाए जो वीराने हैं
एक हल्कासा इशारा इनका
कभी दिल और कभी जाँ लूटेगा
किस तरह प्यास बुझेगी उसकी
किस तरह उसका नशा टूटेगा
जिसकी क़िस्मत में ये पैमाने हैं
नीची नज़रों में है कितना जादू
हो गए पल में कई ख़्वाब जवाँ
कभी उठने, कभी झुकने की अदा
ले चली जाने किधर, जाने कहाँ
रास्ते प्यार के अनजाने हैं