कलियों को मसलने आए हैं फूलों को जलाने आए हैं - The Indic Lyrics Database

कलियों को मसलने आए हैं फूलों को जलाने आए हैं

गीतकार - सोहन लाल साहिर और जहीर कश्मीरी | गायक - NA | संगीत - खुर्शीद अनवारी | फ़िल्म - आज और कली | वर्ष - 1947

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खिलोखिलो

खिलोखिलो मतवारी कलियो

खिलोखिलो

खिलोखिलो मतवारी कलियो

खिलने की रुत आई आज

खिलोखिलो मतवारी कलियो

खिलने की रुत आई आज

क़ुदरत ने कलियों के कानों

में ये बात सुनाई आज

खिलोखिलो

खिलोखिलो मतवाली कलियो

खिलने की रुत आई आज

इस रुत की हर बात सुहानी

हर दिन गीत हर रात कहानी

इस बाँके हरीयाले दिल में

जब हरियाली छाई आज

खिलोखिलो

खिलोखिलो मतवाली कलियो

खिलने की रुत आई आज

डगरडगर गलियन बन महके

कूककूक रसिया मन बहके

पग में फिर कर जनम रही है

जोबन की अंगड़ाई आज

खिलोखिलो

खिलोखिलो मतवाली कलियो

खिलने की रुत आई आज