नई उमर की कलियों तुमको - The Indic Lyrics Database

नई उमर की कलियों तुमको

गीतकार - प्रदीप | गायक - आशा, सहगान/आशा | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - तलाक | वर्ष - 1958

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नई उमर की कलियों तुमको देख रही दुनिया सारी
तुमपे बड़ी ज़िम्मेदारी
घर-घर को तुम स्वर्ग बनाना
हर आँगन को फुलवारी
हमपे बड़ी ज़िम्मेदारी
देख रही दुनिया सारी
तुम उस देश में जन्मी हो जिस देश में जन्मी थी सीता
तुम उस देश की कन्या हो जिस देश में गूँज रही गीता
कभी भूल कर भी न लगाना
जीवन में तुम चिनगारी
घर-घर को तुम स्वर्ग बनाना
हर आँगन को फुलवारी
हमपे बड़ी ज़िम्मेदारी
देख रही दुनिया सारी
ये न भूलना जहाँ जहाँ है फूल वहाँ हैं काँटे भी
जहाँ जहाँ पर होते हैं तूफ़ान वहाँ सन्नाटे भी
तुम इस जग में हँस हँस जीना मत करना मन को भारी
घर-घर को तुम स्वर्ग बनाना
हर आँगन को फुलवारी
हमपे बड़ी ज़िम्मेदारी
देख रही दुनिया सारी
देखो कहीं भटक मत जान झूठे हास विलासों में
करना ऐसे काम तुम्हारा नाम रहे इतिहासों में
सावधान रहना बहनो
आ रही तुम्हारी भी बारी
घर-घर को तुम स्वर्ग बनाना
हर आँगन को फुलवारी
( हमपे बड़ी ज़िम्मेदारी
देख रही दुनिया सारी )