नई मंज़िल नई राहें नया है महरबाँ अपना - The Indic Lyrics Database

नई मंज़िल नई राहें नया है महरबाँ अपना

गीतकार - एस एच बिहारी | गायक - लता, हेमंत | संगीत - हेमंत कुमार | फ़िल्म - हिल स्टेशन | वर्ष - 1957

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नई मंज़िल नई राहें नया है महरबाँ अपना
न जाने जाके ठहरेगा कहाँ यह कारवाँ अपना
न चमकेगी जहाँ बिजली न आएगा जहाँ तूफ़ाँ
बनाएँगे उसी डाली पे जाके आशियाँ अपना
भरोसा है मुक़द्दर पर तुम्हारा भी सहारा है
कहीं दुश्मन न बन जाए यह ज़ालिम आसमाँ अपना
दिखाएँगे हमें ये चाँद-तारे राह मंज़िल की
बनाते हो अगर दुश्मन तो हो सारा जहाँ अपना
नई मंज़िल नई राहें नया है महरबाँ अपना
न जाने जाके ठहरेगा कहाँ यह कारवाँ अपना
बहार आई है गुलशन में, खिली हैं हर तरफ़ कलियाँ
कमी क्या है जो रूठा है चमन से बाग़बाँ अपना
लगी मेहँदी, बनी दुल्हन, बजी शहनाईयाँ लेकिन
यह मेरी बदनसीबी है कि सूना है जहाँ अपना