धूप में निकलो घटाओं में नहाकर देखो - The Indic Lyrics Database

धूप में निकलो घटाओं में नहाकर देखो

गीतकार - निदा फाजली | गायक - जगजीत सिंह | संगीत - जगजीत सिंह | फ़िल्म - सजदा | वर्ष - 1991

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धूप में निकलो घटाओं में नहाकर देखो
ज़िन्दगी क्या है किताबों को हटाकर देखो
वो सितारा है चमकने दो यूँ ही आँखों में
क्या ज़रूरी है उसे जिस्म बनाकर देखो
पत्थरों में भी जुबां होती है दिल होते हैं
अपने घर के दर-ओ-दीवार सजाकर देखो
फ़ासला नज़रों का धोका भी तो हो सकता है
वो मिले या ना मिले हाथ बढ़ाकर देखो