धूप है क्या और साया क्या अब मालूम हुआ - The Indic Lyrics Database

धूप है क्या और साया क्या अब मालूम हुआ

गीतकार - जफर गोरखपुरी | गायक - जगजीत सिंह | संगीत - जगजीत सिंह | फ़िल्म - होप | वर्ष - 1991

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धूप है क्या और साया क्या अब मालूम हुआ
ये सब खेल तमाशा क्या है अब मालूम हुआ
हँसते फूल का चेहरा देखूँ और भर आई आँख
अपने साथ ये किस्सा क्या है अब मालूम हुआ
हम बरसों के बाद भी उसको अब तक भूल ना पाये
दिल से उसका रिश्ता क्या है अब मालूम हुआ
सहरा सहरा प्यासे भटके सारी उम्र जले
बादल का एक टुकड़ा क्या है अब मालूम हुआ