हर कोई चाहता है एक मुट्ठी आसमान - The Indic Lyrics Database

हर कोई चाहता है एक मुट्ठी आसमान

गीतकार - इन्दीवर | गायक - किशोर कुमार | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - एक मुट्ठी आसमान | वर्ष - 1973

View in Roman

हर कोई चाहता है एक मुट्ठी आसमान
हर कोई ढूँढ़ता है एक मुट्ठी आसमान
जो सीने से लगा ले हो ऐसा एक जहान
हर कोई चाहता है एक मुट्ठी आसमान
चाँद सितारों का मेला है
ये दिल फिर भी अकेला है
महफ़िल में है शहनाई
फिर भी दिल में है तन्हाई
है साँसों में जैसे कई तूफ़ान
मिलता नहीं क्या यहाँ मेरे दिल
फिर क्यों ना मिलेगी तुझे मंज़िल
चलते जाना यूँ ही राहों में
भर ही लेगा कोई बाहों में
हमेशा रहेगा ना दिल वीरान
मुझको जीने का कोई सहारा मिला
ग़म के तूफ़ां में कोई किनारा मिला
सूनी सूनी थी जो राहें
बन गई प्यार की बाहें
लो खुशियों से मेरी हुई पहचान
सौदा है रिश्तेदारी यारी एक दिखावा है
अपना क्या है दुनिया में मन का एक छलावा है
कहाँ मिलेगा तुझको यार
ज़हर भरी दुनिया में प्यार
सभी अजनबी है सभी अन्जान
इन्सान होना काफी है
कोई फरिश्ता नहीं तो क्या
दिलों के रिश्ते क्या कम हैं
खून का रिश्ता नहीं तो क्या
गैर ही बनते हैं अपने
सच हो जाते हैं सपने
जो दिल का हो सच्चा अगर इन्सान