अपने लिए जिये तो क्या जिये तुउ जी ऐ दिल ज़माने के लिए - The Indic Lyrics Database

अपने लिए जिये तो क्या जिये तुउ जी ऐ दिल ज़माने के लिए

गीतकार - जावेद अनवर | गायक - मन्ना दे | संगीत - उषा खन्ना | फ़िल्म - बादल | वर्ष - 1966

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धीरे: खुदगज़र् दुनिया में ये, इनसान की पहचान है
जो पराई आग में जल जाये, वो इनसान हैतेज़: अपने लिये जिये तो क्या जिये-२
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जियेबाज़ार से ज़माने के, कुछ भी न हम खरीदेंगे-२
हाँ, बेचकर खुशी अपनी
लोगों के ग़म खरीदेंगे
बुझते दिये जलाने के लिये-२
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये(अपनी खुदी को जो समझा
उसने खुदा को पहचाना )-२
आज़ाद फ़ितरते इनसां
अन्दाज़ क्यों ग़ुलामाना
सर ये नहीं झुकाने के लिये-२
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये(हिम्मत बुलंद है अपनी
पत्थर सी जान रखते हैं )-२
कदमों तले ज़मीं तो क्या
हम आसमान रखते हैं
गिरते हुओं को उठाने के लिये
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये(चल आफ़ताब लेकर चल
चल महताब लेकर चल )-२
तू अपनी एक ठोकर में
सौ इन्क़लाब लेकर चल
ज़ुल्म और सितम मिटाने के लिये
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये-२नाकामियों से घबरा के
तुम क्यों उदास होते हो
मैं हम्सफ़र तुम्हारा हूँ
तुम क्यों उदास होते हो
हँसते रहो हँसाने के लिये
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये-२नाकामियों से घबरा के
तुम क्यों उदास होते हो
मैं हमसफ़र तुम्हारा हूँ
तुम क्यों उदास होते हो
हँसते रहो, हँसाने के लिये
तू जी, ऐ दिल, ज़माने के लिये
अपने लिये जिये तो क्या जिये