धीरे जलना धीरे जलना, ज़िन्दगी के लौ पे जलना - The Indic Lyrics Database

धीरे जलना धीरे जलना, ज़िन्दगी के लौ पे जलना

गीतकार - गुलजार | गायक - श्रेया घोषल - सोनू निगम | संगीत - एम. एम. क्रीम | फ़िल्म - पहेली | वर्ष - 2005

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धीरे जलना, धीरे जलना, धीरे जलना
ज़िन्दगी की लौ पे जलना
धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे जलना
ज़िन्दगी की लौ पे जलना
कांच का सपना, गल ही ना जाए
सोच समझ के आंच रखना
धीरे जलना, धीरे जलना, धीरे जलना
धीरे जलना, धीरे जलना, धीरे जलना
धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे जलना
होना है जो होना है वो, होने से तो रुकता नहीं
आसमां तो झुकता नहीं
तेरे रूप की हलकी धूप में दो ही पल हैं, जीने हैं
तेरी आँख में देख चुका हूँ वो सपने हैं, सीने हैं
आँखों में सपनों की किरचें हैं, चुभती हैं
धीरे जलना, धीरे जलना, धीरे जलना
धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे जलना
होना है जो होना है वो, होने से तो रुकता नहीं
आसमां तो झुकता नहीं
सोचा ना था ज़िन्दगी ऐसी फिर से मिलेगी, जीने के लिए
आँखों को प्यास लगेगी अपने ही आँसू पीने के लिए