जो दिल पे गुजरती है दिखा भी नहीं सकते - The Indic Lyrics Database

जो दिल पे गुजरती है दिखा भी नहीं सकते

गीतकार - शम्स लखनविक | गायक - जयश्री | संगीत - वसंत देसाई | फ़िल्म - दहेज | वर्ष - 1950

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Each sher is rendered slowly first followed by normal pace in the same<ब्र>style as shown for the first sher
जो दिल पे गुज़रती है दिखा भी नहीं सकते
और चाहे सुनाना तो सुना भी नहीं सकते
जो दिल पे गुज़रती है (दिखा भी नहीं सकते) -२
और चाहे सुनाना तो (सुना भी नहीं सकते) -२होंठों पे हाँसी आए तो (रो देतीं हैं आँखें) -२
ग़म इतने सहे हैं के (भुला भी नहीं सकते) -२
जो दिल पे गुज़रती है ...जलता है जिगर और (मज़ा लेतें हैं शोले) -२
ये आग है उल्फ़त की (बुझा भी नहीं सकते) -२
जो दिल पे गुज़रती है ...आँखों में चुपायें हैं (मुहब्बत के दो आँसूं) -२
डर ये है न खो जायें (बहा भी नहीं सकते) -२
जो दिल पे गुज़रती है ...