हर घडी खुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा - The Indic Lyrics Database

हर घडी खुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा

गीतकार - निदा फाजली | गायक - Nil | संगीत - Nil | फ़िल्म - Nil | वर्ष - Nil

View in Roman

हर घडी खुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समन्दर मेरा
किससे पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ कई बरसों से
हर जगह ढूँढ़ता फिरता है मुझे घर मेरा
एक से हो गये मौसम हों कि चेहरे सारे
मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा
मुड़के देखूँ तो कहीं दूर तलक कोई नहीं
कोई पीछा किये जाता है बराबर मेरा