ऐ नर्गिस-ए-मस्ताना, बस इतनी शिकायत है - The Indic Lyrics Database

ऐ नर्गिस-ए-मस्ताना, बस इतनी शिकायत है

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - आरजू | वर्ष - 1965

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ऐ नर्गिस-ए-मस्ताना, बस इतनी शिकायत है
समझा हमें बेगाना, बस इतनी शिकायत है
हर राह पर कतराये, हर मोड़ पर घबराये
मुँह फेर लिया है तुमने, हम जब भी नज़र आये
हम को नहीं पहचाना, बस इतनी शिकायत है
हो जाते हो बरहम भी, बन जाते हो हमदम भी
ऐ साकी-ए-मयखाना, शोला भी हो, शबनम भी
खाली मेरा पैमाना, बस इतनी शिकायत है
हर रंग कयामत है, हर ढंग शरारत है
दिल तोड़ के चल देना, ये हुस्न की आदत है
आता नहीं बहलाना, बस इतनी शिकायत है