फिर उससे मिल जिसाकी कातिर बदनाम हुये - The Indic Lyrics Database

फिर उससे मिल जिसाकी कातिर बदनाम हुये

गीतकार - जमीलुद्दीन अली | गायक - गुलाम अली | संगीत - | फ़िल्म - गुलाम अली के सर्वश्रेष्ठ (गैर-फ़िल्म) | वर्ष - 1990

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फिर उससे मिले जिसकी ख़ातिर बदनाम हुये बदनाम हुये
थे ख़ास बहुत अब तक आली अब आम हुये बदनाम हुयेदो लम्हे चाँदनी रातों के
दो लम्हे प्यार की बातों के
इल्ज़ाम हुये बदनाम हुयेयूँ तो न गई वाँ कोई ख़बर
पर आहों के ख़ामोश असर
पैगाम हुये बदनाम हुयेयूँ तो न दिये कुछ सुख हमको
पर उनसे जो पहुँचे दुख हमको
इनाम हुये बदनाम हुयेजब होने लगे ये हाल अपने
सब रोशन साफ़ ख़याल अपने
इबहाम हुये बदनाम हुये