कभी ना बिगड़े किसी की मोटर रस्ते में - The Indic Lyrics Database

कभी ना बिगड़े किसी की मोटर रस्ते में

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - सुरैया | संगीत - हंसराज बहल | फ़िल्म - मोती महल | वर्ष - 1952

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कभी न बिगड़े किसी की मोटर रस्ते में -२
खड़े रहो बस बेबस होकर रस्ते में
कभी न बिगड़े किसी की मोटर रस्ते मेंकपड़े हों मैले मुँह काला-काला
हो वो सुरैया या मधुबाला
आ हो
हो वो सुरैया या मधुबाला
बड़े-बड़े भी बन जाया करते हैं जोकर रस्ते में
कभी न बिगड़े किसी की मोटर रस्ते मेंबार-बार handleबदलवाया
धक्के दे के सर चकराया -२
निकल गया इतना तो हाये रे कचूमर रस्ते में
कभी न बिगड़े किसी की मोटर रस्ते मेंतेल खिलाया डाला पानी
पर ज़ालिम ने एक न मानी -२
याद आती है हमको नानी अब रो-रो कर रस्ते में -२कभी न बिगड़े किसी की मोटर रस्ते मेंसच कहती है दुनिया सारी
चलती का ही नाम है गाड़ी -२
मोटर भी छकड़ा है जब हो जाये punctureरस्ते मेंकभी न बिगड़े किसी की मोटर रस्ते में
खड़े रहो बस बेबस होकर रस्ते में
कभी न बिगड़े किसी की मोटर रस्ते में