गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - लता, तलत | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - साकी | वर्ष - 1952
View in Romanआरज़ूएँ रो रही हैं हसरतें बरबाद हैं
हम ज़माने में फ़क़त इक दुःख भरी फ़रियाद हैं
किसे मालूम था इक दिन मोहब्बत बेज़ुबाँ होगी
वो ज़ालिम आसमाँ जाने मेरी दुनिया कहाँ होगी
त: कभी इक ख़्वाब देखा था मेरे पहलू में तुम होगे-2
कहानी प्यार की आँखों ही आँखों में बयाँ होगी
किसे मालूम था इक दिन ...
ल: लहू दिल का मेरी आँखों का पानी बन के कहता है-2
ये पानी बन के कहता है
त: न हम होंगे न तुम होगे हमारी दास्ताँ होगी-2
ल: किसे मालूम था इक दिन ...$