फिर ना कीजे मेरी गुस्ताख़ निगाही का गिला - The Indic Lyrics Database

फिर ना कीजे मेरी गुस्ताख़ निगाही का गिला

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - आशा - मुकेश | संगीत - खय्याम | फ़िल्म - फ़िर सुबह होगी | वर्ष - 1958

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फिर ना कीजे मेरी गुस्ताख़ निगाही का गिला
देखिए आपने फिर प्यार से देखा मुझको
मैं कहाँ तक ना निगाहों को पलटने देती
आपके दिलने कई बार पुकारा मुझको
इस कदर प्यार से देखो ना हमारी जानिब
दिल अगर और मचल जाए तो मुश्किल होगी
तुम जहाँ मेरी तरफ देख के रुक जाओगे
वो ही मंज़िल मेरी तक़दीर की मंज़िल होगी
देखिए आपने फिर प्यार से देखा मुझको
आप के दिल ने कई बार पुकारा मुझको
एक यूँ ही सी नज़र दिल को जो छू लेती है
कितने अरमान जगाती है तुम्हे क्या मालूम
रूह बेचैन है कदमो से लिपटने के लिए
तुमको हर साँस बुलाती है तुम्हे क्या मालूम
देखिए आप ने फिर प्यार से देखा मुझको
आप के दिल ने कई बार पुकारा मुझको
हर नज़र आप की जज़बात को उकसाती है
मैं अगर हाथ पकड़ लूँ तो ख़फ़ा मत होना
मेरी दुनिया-ए-मोहब्बत है तुम्हारे दम से
मेरी दुनिया-ए-मोहब्बत से जुदा मत होना
देखिए आप ने फिर प्यार से देखा मुझको
आप के दिल ने कई बार पुकारा मुझको