मेरा कुछ सामान, तुम्हारे पास पडा है - The Indic Lyrics Database

मेरा कुछ सामान, तुम्हारे पास पडा है

गीतकार - गुलजार | गायक - आशा भोसले | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - इजाज़त | वर्ष - 1987

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मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है
सावन के कुछ भीगे भीगे दिन रखे हैं
और मेरे एक ख़त में लिपटी रात पड़ी है
वो रात बुझा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
पतझड़ है कुछ, है ना ...
पतझड़ में कुछ पत्तों के गिरने की आहट
कानों में एक बार पहन के लौट आई थी
पतझड़ की वो शाख अभी तक काँप रही है
वो शाख गिरा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
एक अकेली छत्री में जब आधे आधे भीग रहे थे
आधे सूखे, आधे गीले, सूखा तो मैं ले आई थी
गीला मन शायद बिस्तर के पास पडा हो
वो भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
एक सौ सोलह चाँद की रातें, एक तुम्हारे काँधे का तिल
गीली मेहंदी की खुशबू, झूठमूठ के शिकवे कुछ
झूठमूठ के वादे भी, सब याद करा दो
सब भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो
एक इजाज़त दे दो बस
जब इस को दफ़नाऊँगी
मैं भी वही सो जाऊँगी