ओ रुथे हुये भगवान तुमको कैसे मनौं - The Indic Lyrics Database

ओ रुथे हुये भगवान तुमको कैसे मनौं

गीतकार - कमर जलालाबादी | गायक - अमीरबाई | संगीत - खेमचंद प्रकाश | फ़िल्म - सिंदूर | वर्ष - 1947

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ओ रूठे हुये भगवान -३
तुमको कैसे मनाऊँ -२
ओ रूठे हुये भगवान
( तू ही नहीं सुनता तो किसको
हाल सुनायूँ ) -२तुमको कैसे मनाऊँ -२
ओ रूठे हुये भगवान
तुमको कैसे मनाऊँ -२
ओ रूठे हुये भगवानतूफ़ान में डाली से कली टूट रही है -२
इक आस थी वो आस भी अब छूट रही है -२
इस टूटी हुई आस को लेकर कहाँ जाऊँ -२
लेकर कहाँ जाऊँतुमको कैसे मनाऊँ -२
ओ रूठे हुये भगवान -२
तुमको कैसे मनाऊँ -२
ओ रूठे हुये भगवानदिल कहता है बेटे के लिये जान भी देकर -२
इक माँ का तड़पता हुआ दिल हाथ में लेकर -२
मैं रोती तड़पती तेरे दरबार में आऊँ -२तुमको कैसे मनाऊँ -२
ओ रूठे हुये भगवान
तुमको कैसे मनाऊँ -२
ओ रूठे हुये भगवानजब जाग उठे मेरे तड़पने से तेरा दिल -२
दामन को पकड़ कर ये पुकारेगा मेरा दिल -२
दिल तोड़ ही देना था तो क्यूँ माँ को दिया दिल
क्यूँ माँ को दिया दिल
दुनिया की हर इक माँ का तुझको दर्द सुनाऊँ -२तुमको कैसे मनाऊँ -२
ओ रूठे हुये भगवान
तुमको कैसे मनाऊँ -२
ओ रूठे हुये भगवान