ओ बेदर्दी क्यूउन तडापाए ओ मधुबैनी काहे लुभाए - The Indic Lyrics Database

ओ बेदर्दी क्यूउन तडापाए ओ मधुबैनी काहे लुभाए

गीतकार - अंजान | गायक - गीता दत्त, सहगान, महेंद्र कपूर | संगीत - रवि शंकर | फ़िल्म - गोदान | वर्ष - 1963

View in Roman

गी : ओ बेदर्दी क्यूँ तड़पाए जियरा मोरा रिझाय के
ओ निरदर्दी मैं पछताई तुझसे नेहा लगय के
म : ओ मधुबैनी काहे लुभाए मीठी तान सुनाय के
ओ मृगनयनी काहे रिझाए नैनन बान चलाय के
गी : ओ बेदर्दी क्यूँ तड़पाए ...गी : जब से देखा तुझे सजनवा मैं सपनों में खो गई
ओ निर्मोही चुपके चुपके मैं तो तेरी हो गई
मुझसे नैन चुराए बलमवा दिल का चैन चुराय के
ओ बेदर्दी क्यूँ तड़पाए ...म : इन्द्रधनुष सी तोरी चुनरिया हिरदय पर छा जाए रे
संवर संवर कर गोरी गुजरिया जग जैसे छल जाए रे
तोहन मन्तर काहे चलाए मधुर मधुर मुस्काय के
ओ मधुबैनी काहे लुभाए ...गी : बड़ा निठुर है मोरा संवरिया जो न पसीजे प्यार में
प्यार बिना मैं जिऊँ रे कैसे छलिया इस संसार में
बिरहिन मैं बन जाऊँ जोगनिया दुनिया को ठुकराय के
ओ बेदर्दी क्यूँ तड़पाए ...म : प्रीत तेरी पहचान न पाया जिया मोरा अनजान रे
तुझसे मेरा नेह सजनिया करूँ निछावर प्रान रे
प्रेम का नाता जोड़ ले तू बीती बतियाँ बिसराय के
ओ मधुबैनी काहे लुभाए ...