झूठि मुठि रूठि रुठि पगली मान जा - The Indic Lyrics Database

झूठि मुठि रूठि रुठि पगली मान जा

गीतकार - समीर | गायक - साधना सरगम, अभिजीत | संगीत - विशाल | फ़िल्म - बेताबी | वर्ष - 1997

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झूठी मूठी रुठी रूठी पगली मान जा
घागे से धागा जोड़ूंगा मैं
पल्लू तेरा ना छोड़ूंगा मैं
चोरी चोरी गोरियाँ खीचें दिल की डोरियाँ
चकोरियाँ टकोरियाँ ये गोरियाँ
ऐरे गैरे नत्थू खैरे पगले जा रे जा
ऐसे फिसल ना चिकने घड़े देखे हैं तेरे जैसे बड़े
चोरी चोरी गोरियाँ ...जादू भरी खुश्बू जाफ़रानी
ऐसे चले जैसे पुरवा सुहानी
मुझको पता है दिलबर जानी
नीयत में तेरे बेईमानी
झूठी मूठी रुठी रूठी ...चोरी चोरी खीचें मेरे दिल की डोरी पियामैं अनछुई सी मेहंदी का बूटा
मुझसे जताए ये प्यार झूठा
जितना भी चाहे तकरार कर
छूटेगी मुझसे तू प्यार कर
चुपके से आके इकरार कर
झगड़ा ना ऐसे बेकार कर
प्यार कर
ऐरे गैरे नत्थू ...