फिर छिडी रात, बात फुलों की - The Indic Lyrics Database

फिर छिडी रात, बात फुलों की

गीतकार - मख़दूम मुहिउद्दीन | गायक - लता - तलत अजीज | संगीत - खय्याम | फ़िल्म - बाजार | वर्ष - 1982

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फिर छिड़ी रात बात फूलों की
रात है या बारात फूलों की
फूल के हार, फूल के गजरे
शाम फूलों की, रात फूलों की
आप का साथ, साथ फूलों का
आप की बात, बात फूलों की
फूल खिलते रहेंगे दुनिया में
रोज़ निकलेगी बात फूलों की
नज़रे मिलती हैं, जाम मिलते हैं
मिल रही है हयात फूलों की
ये महकती हुई गज़ल मखदूम
जैसे सहरा में रात फूलों की