रुत अलबेइ मस्त सामान साथ हसीन हर बात जवां - The Indic Lyrics Database

रुत अलबेइ मस्त सामान साथ हसीन हर बात जवां

गीतकार - गुलजार | गायक - मुकेश | संगीत - दत्ताराम | फ़िल्म - | वर्ष - 1960

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रुत अलबेली मस्त समाँ
साथ हसीं हर बात जवाँ
हवा का आँचल बड़ा है चंचल
धीरे-धीरे गाए मन तेरी क़समइन मचलते पानियों में सुन गुनगुनाते साहिलों की धुन
रुत हसीं हम जवां हाय तौबा
नाज़नीं जो कोई हँस पड़ी मोतियों की खुल गई लड़ी
लाजवाब है क्या शबाब हाय तौबा
रेशमी नज़र पड़ गई जिधर खिल गई दुनिया
अरे रुत अलबेली मस्त समाँ ...ये महल न देखे कहीं आसमाँ को चूमे ज़मीं
क्या ख़्याल है बेमिसाल हाय तौबा
आरज़ू लिए निग़ाह में मंज़िलें बुलाएं राह में
इंतज़ार में बेक़रार हाय तौबा
ख़्वाब तो नहीं यह ज़मीं कहीं ख़ूब है ये दुनिया
अरे रुत अलबेली मस्त समाँ ...