ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ - The Indic Lyrics Database

ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ

गीतकार - मजाज़ लखनवी | गायक - तलत महमूद | संगीत - सरदार मलिक | फ़िल्म - ठोकर | वर्ष - 1953

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शहर की रात और मैं नाशाद-ओ-नाकारा फिरूँ
जगमगाती जागती सड़को पे आवारा फिरूँ
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ
ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
क्या करूँ, क्या करूँ
ये रुपहली छाँव ये आकाश पर तारों का जाल
जैसे सूफ़ी का तसव्वुर, जैसे आशिक़ का ख़याल
आह लेकिन कौन समझे, कौन जाने जी का हाल
रास्ते मे रुक के दम लूँ, ये मेरी आदत नहीं
लौट कर वापस चला जाऊँ मेरी फितरत नहीं
और कोई हमनवाँ मिल जाए ये किस्मत नहीं