आ गया लब पे अफ़साना - The Indic Lyrics Database

आ गया लब पे अफ़साना

गीतकार - शकील | गायक - आशा, उषा | संगीत - रोशन | फ़िल्म - नूरजहां | वर्ष - 1967

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आ गया लब पे अफ़साना-ए-आशिक़ी
अब किसी भी फ़साने की परवाह नहीं
हम तो उनसे मोहब्बत किए जायेंगे
अब हमें इस ज़माने की परवाह नहीं
आज ऐ इश्क़ साया तेरा सर पे है
ताज क़दमों में है तख़्त ठोकर पे है
मिल गई हैं हमें प्यार की दौलतें
अब किसी भी ख़ज़ाने की परवाह नहीं
ज़िन्दगी में बहारें रहेंगीं सदा
हमने उल्फ़त के गुलशन में पा ली जगह
चाहे बिजली गिरे या चलें आँधियाँ
अब हमें आशियाने की परवाह नहीं
बन्दगी कर रहे हैं मोहब्बत की हम
ये नहीं जानते क्या है दैर-ओ-हरम
झुक गई है जबीं हुस्न के सामने
अब कहीं सर झुकाने की परवाह नहीं