हो सावन के दिन आये रे - The Indic Lyrics Database

हो सावन के दिन आये रे

गीतकार - पं सुदर्शन | गायक - शीला, सहगान | संगीत - NA | फ़िल्म - सिकंदर | वर्ष - 1941

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सब्ज़े की दुर्फ़िशानी फूलों का शामियाना

सब्ज़े की दुर्फ़िशानी फूलों का शामियाना

ख़ुशबू की नौजवानी रंगीं निग़ारख़ाना

देखा तो गा रहा है अपना वही तराना

बुलबुल सुना रहा है गुल को रुला रहा है

मीठा सा दर्द बनकर पहलू में आ रहा है

रहरह के कोई दिल में चरके लगा रहा है

ठंडी हवा का झोंका झूला झुला रहा है

फूलों को देके लोरी दौलत लुटा रहा है

बादल मचलमचल कर हर ? पे छा रहा है

लेकिन मेरा नसीबा मुझको रुला रहा है