बुप्पा जिंदगी है क्या बोलो - The Indic Lyrics Database

बुप्पा जिंदगी है क्या बोलो

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - मुकेश, महेंद्र कपूर, किशोर कुमार | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - सत्यकाम | वर्ष - 1969

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बुअप्पा -३
म : ज़िन्दगी है क्या बोलो ज़िन्दगी है क्या
को : ज़िन्दगी है क्या बोलोकि : ज़िन्दगी है लट्टू -२
चाहे जहाँ नचा लो चाहे जिधर घुमा लो
भाड़े का जैसे टट्टू लट्टू
ज़िन्दगी है लट्टूज़िन्दगी है लड़की
को : लड़की
कि : ज़िन्दगी है लड़की
म : लड़की का नाम मत लो
कि : क्यों
म : उसका सलाम मत लो
कि : क्यों
म : लड़की बनाए कड़की लड़कीको : ज़िन्दगी है लड़की -२
लड़की का नाम मत लो
कि : मत लो
को : उसका सलाम मत लो
कि : मत लो
म : लड़की बनाए कड़कीमु : लट्टू नहीं है लड़की नहीं है
ज़िन्दगी है सच्चाई
मिट्टी की मूरत जब सच बोली आदमी तब कहलाई
आदमी है क्या बोलो आदमी है क्या
को : आदमी है क्या ...कि : आदमी है बन्दर
रोटी उठाके भागे कपड़े चुराके भागे
कहलाए वो सिकन्दर बन्दर
आदमी है बन्दर
को :आदमी है बन्दरम : आदमी है चरखा
अरे चूँ चूँ हमेशा बोले घों घों हमेशा डोले
रुकते कभी न देखा
देखा आदमी है चरखा
मु : बन्दर नहीं है चरखा नहीं है
आदमी का क्या कहना
प्यार-मोहब्बत फ़ितरत उसकी दोस्ती मज़हब उसका
दोस्ती है क्या बोलो दोस्ती है क्या
को : दोस्ती है क्या ...कि : दोस्ती है मोटर अरे दोस्ती है मोटर
सब जिसमें घूमते हैं
म : मस्ती में झूमते हैं
कि : जब तक कि हो न पंचर
को : दोस्ती है मोटरम : दोस्ती है लस्सी उहूँ आहूँ
दोस्ती है लस्सी
ओये पी लो ज़रा न छोड़ो भूल से भी न तोड़ो
जादू की है ये रस्सी
को : दोस्ती है रस्सीमु : लस्सी नहीं है रस्सी नहीं है
दोस्ती दिल की धड़कन
दुश्मनी सहरा-सहरा गर दोस्ती गुलशन-गुलशन
को : दोस्ती गुलशन-गुलशन
बुअप्पा -३
उहूँ आहूँ