धीमी धीमी खुशबू है तेरा बदन - The Indic Lyrics Database

धीमी धीमी खुशबू है तेरा बदन

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - हरिहरन | संगीत - ए. आर. रहमान | फ़िल्म - 1947 पृथ्वी | वर्ष - 1998

View in Roman

धीमी धीमी भीनी भीनी खुशबू है तेरा बदन
सुलगे महके, पिघले दहके क्यों ना बहके मेरा मन
वो चली हवा के नशा घुला
है समा भी जैसे धुआँ धुआँ
तेरा रुप है के ये धूप है
खुले बाल है के हैं बदलियाँ
तू जो पास है, मुझे प्यास है
तेरे जिस्म का एहसास है
सांस भी जैसे रुक सी जाती है
तू जो पास आये तो आँच आती है
दिल की धडकन भी मेरे सीने में लडखडाती है
ये तेरा तन बदन कैसी है ये अगन
थंडक है जिस्म तू वो आग है
बलखाती है जो तू लहराती है जो तू
लगता है ये बदन एक राग है