हँसने की चाह ने कितना मुझे रुलाया है - The Indic Lyrics Database

हँसने की चाह ने कितना मुझे रुलाया है

गीतकार - कपिल कुमार | गायक - मन्ना डे | संगीत - कानू रॉय | फ़िल्म - अविष्कार | वर्ष - 1973

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हँसने की चाह ने कितना मुझे रुलाया है
कोई हमदर्द नहीं, दर्द मेरा साया है
दिल तो उलझा ही रहा ज़िन्दगी की बातों में
साँसे जलती हैं कभी कभी रातों में
किसी की आह पर तारों को प्यार आया है
सपने छलते ही रहे रोज नयी राहों से
कोई फिसला है अभी अभी बाहों से
किसकी ये आहटें, ये कौन मुस्कुराया है