आ चल के तुझे, मैं ले के चलूं - The Indic Lyrics Database

आ चल के तुझे, मैं ले के चलूं

गीतकार - किशोर | गायक - किशोर | संगीत - किशोर | फ़िल्म - दूर गगन की छाँव में | वर्ष - 1964

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आ चल के तुझे, मैं ले के चलूं
इक ऐसे गगन के तले
जहाँ ग़म भी न हो, आँसू भी न हो
बस प्यार ही प्यार पले
इक ऐसे गगन के तले
सूरज की पहली किरण से, आशा का सवेरा जागे
चंदा की किरण से धुल कर, घनघोर अंधेरा भागे
कभी धूप खिले कभी छाँव मिले
लम्बी सी डगर न खले
जहाँ ग़म भी नो हो, आँसू भी न हो ...
जहाँ दूर नज़र दौड़ आए, आज़ाद गगन लहराए
जहाँ रंग बिरंगे पंछी, आशा का संदेसा लाएं
सपनो मे पली हँसती हो कली
जहाँ शाम सुहानी ढले
जहाँ ग़म भी न हो, आँसू भी न हो ...
आ चल के तुझे मैं ले के चलूं ...
सपनों के ऐसे जहाँ में जहाँ प्यार ही प्यार खिला हो
हम जाके वहाँ खो जाएँ शिकवा ना कोई गिला हो
कोई बैर न हो, कोई ग़ैर न हो
सब मिलके यूँ चलते चलें
जहाँ ग़म भी न हो, आँसू भी न हो ...
आ चल के तुझे मैं ले के चलूं ...