गीतकार - हसरत | गायक - रफ़ी, आशा | संगीत - शंकर-जयकिशन | फ़िल्म - सूरज | वर्ष - 1966
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कैसे समझाऊँ बड़ी नासमझ हो
हमसे न जीतोगी तुम रहने दो ये बाज़ी
कैसे समझाऊँ ...
आ आ
कैसे समझाऊँ बड़े नासमझ हो
आए-गए तुम जैसे सैकड़ों अनाड़ी
कैसे समझाऊँ ...
हम दिल का साज़ बजाते हैं दुनिया के होश उड़ाते हैं
हम सात सुरों के सागर हैं हर महफ़िल में लहराते हैं
कैसे समझाऊँ ...
तुम साज़ बजाना क्या जानो तुम रंग जमाना क्या जानो
महफ़िल तो हमारे दम से है तुम होश उड़ाना क्या जानो
कैसे समझाऊँ ...
मैं नाचूँ चाँद-सितारों पर शोलों पर शरारों पर
हम ऐसी कला के दीवाने छा जाएँ नशीली बहारों पर
कैसे समझाऊँ ...